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Tuesday 8 August 2023

गुरुग्राम की मस्जिद में शहीद हुए थे मौलाना साद, अब मौलाना साद की खातिर पप्पू यादव ने किया वो काम, पूरी दुनिया के मुस्लिम करने लगे सलाम ?



पहले मेवात में बवाल हुआ, इसके बाद जब चिंगारी गुरुग्राम तक पहुंची, तो 26 साल के मौलान साद उन्मादी भीड़ की नफरत का शिकार हो गए, वो मौलान साद जो आखिरी सांस तक दुनिया को हिंदू मुस्लिम भाईचारे का पैगाम देकर गए थे, जिन्हें ना मेवाल के बवाल से मतलब था, ना गुरुग्राम के हंगामे से.....मौलान साद बिहार के सीतामड़ी जिले के रहने वाले थे....अब पूरे जिले में मातम पसरा हुआ है....अखिलेश यादव से लेकर ओवैसी तक सियासी नेताओं ने घटना की निंदा की और काम खत्म हो गया....लेकिन पप्पू यादव ने वो काम किया....जिसे देखकर पूरी दुनिया के मुसलमान पप्पू यादव को सलाम करने लगे है....और आधा हिंदुस्तान पप्पू यादव की बहादुरी की दाद देने लगा है....पप्पू यादव ने मौलान साद के लिए कितना बड़ा ऐलान किया है, वो बताएं उससे पहले सबसे जरूरी बात सुनिए....

मौलाना साद गुरुग्राम में अंजुमन जामा मस्जिद में मौलवी थे, वो अजान भी दिया करते थे, और इमाम के ना रहने पर नमाज़ भी पढ़ाया करते थे....जिस रात उपद्रवियों की भीड़ ने उनपर हमला किया....उससे अगले ही दिन उनका ट्रेन का टिकट था....और उनको अपने घर बिहार आना था

मौलाना साद का पूरा परिवार अपने लाल के इंतजार में बैठा हुआ था.....लेकिन धार्मिद उन्माद में अंधी हुई भीड़ सही और गलत का फर्क भूल चुकी थी....और आधी रात में मौलान साद की मस्जिद पर हमला कर दिया...जिसमें मौलान ने दुनिया को अलविदा कह दिया....मुस्लिमों के नाम पर सियासत चमकाने वाले नेताओं ने बयान दिए और कहानी खत्म कर हो गई....ना कोई मौलाना साद के घर पहुंचा, ना किसी ने कोई मदद का ऐलान किया....लेकिन अब पप्पू यादव पूरे हिंदुस्तान के लिए मिसाल बन गए हैं....रविवार को मौलान साद के घर पहुंचे पप्पू यादव ने ऐलान किया है....

की उनके परिवार को 50 हजार रुपये मदद के तौर पर देते हैं, उनके बच्चे को सारी जिंदगी पढ़ाने का ऐलान करते हैं, मौलाना साद की चारों बहनों की शादी का पूरा खर्च और जिम्मेदारी लेने का पप्पू यादव ने ऐलान किया है

इसके अलावा चारों लड़कियों के अकाउंट में भी एक एक लाख रुपये जमा कराने का वादा किया है....ताकि मौलान साद की बहनों को पूरी तरह आर्थिक मदद दी जा सके.....पप्पू यादव ने इस घटना को इंसानियत पर कलंक बताया और जिम्मेदार लोगों पर जमकर गरजे....भले ही पप्पू यादव ने ये मदद सियासी फायदे की नीयत की है, लेकिन चार लड़कियों की शादी, बच्चे को सारी जिंदगी पढ़ाना, लाखों रुपये परिवार के अकाउंट में जमा कराना....कोई मामूली बात नहीं है....उसी बिहार में तेजस्वी यादव भी है.....ओवैसी भी इसी बिहार में चुनाव लड़ते हैं...अखिलेश यादव भी इसी बिहार में इफ्तार पार्टियों में जाकर अपनी सियासत चमकाते हैं....लेकिन किसी ने मौलान साद के नाम खुलकर बयान तक नहीं दिया.....ना ही किसी ने मदद की थी...अब पप्पू यादव के फैसले की पूरे देश में जमकर तारीफ हो रही है....और मुस्लिम इस खबर जमकर शेयर कर रहे हैं....ताकी देश की बाकी नेताओं की आंखे खुल सकें

Tuesday 10 July 2018

मैं बहका हुआ बहादुर हूं




मैं एक छोटा मोटा शायर हूँ
डरपोक, बुझदिल, कायर हूँ
सत्ता सरकार से डरता हूँ
रुपये पैसे पर मरता हूँ
शोहरत का मुझसे कोई काम नहीं
मैं चापलूसी पर पलता हूँ
मैं झूठा भी हूँ, मक्कार भी मैं
मैं जीत नहीं हूं, हार हूँ मैं
काम ना मुझको आता तो क्या
सलाम तो मुझको आता है
पत्रकारिता के इस पाखंड में
बाज़ारू दाम तो मुझको आता है
गलत को भी सही मैं बोलूं
बिना आदेश ना मैं मुँह खोलूं
अम्बर अपना धरती मेरी
ये उतरन वाली वर्दी मेरी
सब मुझसे ये ही कहते हैं
गैरत ग़ुरूब हो गई तेरी
मेरी हस्ती बहुत है सस्ती
मैंने ये सब बहुत सुना है
वजूद भी मेरा लानत पे बना है
धिक्करा गया, दुत्कारा गया मैं
हर महफ़िल में मारा गया मैं
कभी भी मुझको शर्म ना आयी
मैंने मालिक की जूठन भी खाई
अपनी शर्तों पे जिया नहीं मैं
खुद्दारी वाला चैप्टर लिया नही मैं
लेकिन मैं कुछ लोगों को चुभता हूँ
हर चौराहे पर इनसे पिटता हूँ
कुसूर कहाँ पर क्या है मेरा
क्या मैं इन्हें दबा कर उठता हूँ
ये तो क़ाबिल भी हैं, खुद्दार भी हैं
मेरे मालिक के गद्दार भी हैं
मालिक और मैं एक किरदार भी हैं
फिर अब तक क्यू ये ज़िंदा हैं
गर्दिश का सितार डूब गया
फिर क्यों ये बेख़ौफ़ परिंदा हैं
इनके हक़ पर मैंने डाला डाका है
मेरा सरदार ही इनका आका है
मैं खाक हूँ या सरताज़ हूँ
ये इन्हें भी समझ ना आता है
भूल के अपनी खुद्दारी
दफना के सच्चाई सारी की सारी
हुए हैं मेरे दर पर हाज़िर
बने निकम्मों की जमात में काफिर
मैं भी खुश हूं ये भी खुश हैं

बने हैं दोनों गुलामी के मुहाज़िर


Friday 1 June 2018

मुसलमान इस देश से दफा हो जाएं, उनके लिए बेहतर होगा !


ये कोई मेरी सलाह नहीं है ना ही किसी का बयान है, ये तो वक्त का तकाजा और हालात का संदेश है, या फिर आप यहां से दफा हो जाइये, नहीं हो सकते तो हालात बदलने का जज़्बा अपने अंदर पैदा कर लीजिए, वर्ना करनाल हो या गुरुग्राम एमपी, बिहार हो या यूपी हर कहीं से मार-मार के निकाले जाओगे, अब तो नौबत ये है उत्तराखंड और हिमाचल जैसे शांत इलाकों से भी मुसलमानों के विरोधी सुर बुलंद होते जा रहे हैं, ये जो पिछले कुछ दिनो में हुआ है ना, ये सब एक सोची समझी साजिश है, आतंकवाद, लव जेहाद, गोमांस, तीन तलाक, दाढ़ी टोपी, और अब नमाज़,  इसमें कुछ भी हैरान करने वाला नहीं है, हो सकता है कल आप के नाम और धर्म पर सवाल खड़े किए जाएं, आने वाला वक्त तुम्हारे सब्र का कड़ा इम्तिहान लेगा, या तो विरोध में अपने आपको, अपने धर्म को बुरा सुनने की हिम्मत रखो, नहीं तो यहां से दफा हो जाओ, गुरुग्राम तुम्हारी सहनशक्ति का एक छोटा सा नमूना था, जिसमें तुम्हारे जज़्बातों का समंदर सूख गया था, करनाल में नमाज अदा करते समय हिंदूवादी संगठनों के द्वारा मस्जिद की दिवार गिराना और तोड़फोड़ बता रहा है बदलती मानसिकता बहुत तेजी से विकसित हो रही है.

मुस्लिमों को जला देना चाहिए’
मुस्लिमों को जला देना चाहिए इन्हें लात मारकर इस देश से भगा देना चाहिए, इन्हें यहां रहने का कोई हक नहीं है, ऐसी ही महान सोच के एक महात्मा से आज मुलाकात हुई “तो हुआ कुछ ये, हम पराठे खाने के लिए रेढ़ी पर गए हुए थे तो पराठे बन रहे थे तभी सामने से एक भाई रिक्शा चलाते हुए निकलता है, पराठे बनाने वाला भाई चिल्लाकर बोलता है भाई सलाम, पता नहीं रिक्शा वाला इन भाई का सलाम सुन नहीं पाया या सुनकर भी अनसुना कर गया, उधर वो निकला, इधर इन भाई साहब ने गालियां पेलनी शुरू कर दी, मात्र 30 सेकंड में एक दर्जन गालियां दे दी होंगी, हम वहीं पर खड़े थे गाली देने की वजह पूछी तो भाई का कहना था ये मेरा जानने वाला था, ये मुस्लिम और मैं हिंदू हूं लेकिन फिर भी सलाम कर रहा हूं वो सुनने को तैयार नहीं है, अब इतने ही हमारा दोस्त जो साथ में ही पराठे खा रहा था( वो भी मुस्लिम है) वो बोला साले ये मुसलमान होते ही ऐसे हैं, फिर क्या था पराठे वाला ऐसे भड़का जैसे मानों सालों से जिस नफरत को अपने अंदर पाल रहा है, आज निकालने का मौका मिला है। शुरू हो गया बोलता है “मुसलमानों को सालों को आग लगा देनी चाहिए( जब ये बोल रहा था आवाज तेज थी और चेहरा लाल था) हिंदुस्तान से  भगाना चाहिए सालों को इन्हें, आदि आदि”, हम हंस रहे थे, हालांकि वहां से निकलते समय हमने उसे ये जरूर बता दिया के भाई हम भी मुस्लिम हैं, इसके बाद ये भी जरूर है उसके चेहरे पर पछतावे का भाव दिख रहा था”

सांप्रदायिकता का तूफान आएगा
यहां मैं इस वाक्ये का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि सवाल यहां सोच का है, इतनी नफरत कहां से आ रही है, आखिर कौन सा प्लान है जो कामयाब हो रहा है, और सोला आने सच ये भी इस सोच का खुलेआम प्रदर्शन 2014 के बाद से ही हुआ है। कहने को हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं किताबों में पढ़ा है हमारे देश में सभी धर्मों के लोग प्यार मोहब्बत के साथ मिलकर रहते हैं, सच ये है किताबी बातें यहां अपना वजूद खो चुकी हैं और हकीकत किताबी बातों के विपरीत है, तो मुस्लिमों के सब्र का इम्तिहान अभी बाकि है, अभी महज़ शुरुआत हुई है, सामने एक तूफान आ रहा है, ये आने वाला तूफान तुम्हे हिला देगा, और इस बार मौसम विभाग का अनुमान बिल्कुल सटीक है तूफान आएगा, और भयंकर वाला आएगा, तो खुद की सुरक्षा के लिए इंतज़ाम कीजिए अगर नहीं तो वक्त है यहां से दफा हो जाइये, क्योंकि हो सकता है तुम इस तूफान के सामने तहस नहस हो जाओ !

Thursday 16 November 2017

योगी की गोद में गरीब की डिजिटल मौत

पीएम नरेंद्र मोदी आसियान समिट में अपने काम दुनिया को बता रहे हैं, उधर यूपी के सीएम महंत योगी आदित्यनाथ, श्री श्री के साथ मिलकर राम मंदिर बनाने में लगे हैं, सब सही है, सब खुश है, मोदी वहां खुश हैं, योगी यहां खुश है, सांसद खुश हैं और विधायक खुश हैं, यहां तो सब खुश हैं चलो अब वहां चलो जहां चलकर तुम्हे इंसान होने पर शर्म आएगी, यूपी का बरेली, और बरेली का फतेहगंज, जहां से कल सरकार की लापरवाही का जनाजा निकला है, और साहब को पता भी नहीं, नही पता तो सुनो, बरेली सुनले, उत्तर प्रदेश सुनले, और हो सके तो पूरा हिंदुस्तान कान खोलकर सुनले, यहां कल एक मां भूख से मरी है, और उसकी मौत का आधार आधार कार्ड बना है, वो मौत जिसे देखकर जमीन थर्रा गई, आसमां जारोजार रो रहा है, चंद परंद, और समूची कायनात सहमी हुई है, पीएम साहब सारी दुनिया के सामने ये और बताते आना, के हम उस देश के वासी हैं जहां भूख से मौतें हो जाती हैं, सुनो हाकिम सुनो, झोपड़ी के दर्दों की जुबान सुनों, भुखमरी का आइना, आंसुओं का बयान सुनो...वो पांच दिन से भूखी थी, और डिजिटल इंडिया उसकी मौत की वजह बन गया, लेकिन याद रखना, वो मरी है लेकिन उसकी आत्मा जिंदा है, वो भी खुद शर्मिंदा है, वो शर्मिंदा है इंसानियत पर, वो शर्मिंदा है हुक्मरानो पर, वो इस देश की मिट्टी में पैदा होने पर शर्मिंदा है, वो कहती है जला दो इसे फूंक डालो ये दुनिया, मेरे सामने से हटालो ये दुनिया, जहां इंसान की मौत की वजह इंसान बनता हो, वो मरी नहीं है, उसे मारा गया है, बस सरकार इतना बताते जाएये जिम्मदार कौन है, मंदिर मस्जिद छोड़िए सरकार जाइए, उस आंगन में जाइए जहां वो तड़प तड़पकर मरी है, देखिए वो झोपड़ी, और मिलिए उसके पति से जो जिंदा लाश बन चुका है, पढ़िए उसकी आंखें, समझिए उसका दर्द, जाइये जाइये वहां जाइए जहां गरीबी की कोई सीमा रेखा ही नहीं है, मिलिए उन बच्चों से जिन्होंने दूध देखा ही नहीं है, मिलिए उन माओं से जिनकी छाती का दूध सुख चुका है, और देखिए भूखे पेट की तड़प, राम मंदिर के सामने आपके लिए ये विषय फिजूल हो सकता है, आप ऐसा सोच सकते हैं, आप बेकसूर हैं, हां आप बेकसूर हैं, क्योंकि आप भुखमरी की त्रासदी से दूर हैं, गुनहगार आप नहीं हैं, गुनहगार मरने वाला है क्योंकि उसने आपको चुना है,

Sunday 12 November 2017

उजड़ रहा है चमन, बिखर रहा है आसमां




उजड़ रहा है चमन, बिखर रहा है आसमां
वो लिख रहे हैं मुल्क की बर्बादी की दास्तां
शैतानों का वास हुआ, धधक उठी धरती
सच का अपमान हुआ, सिसक उठा संविधान
धर्म का ऐसा खेल रचा इंसानों ने
इज्जत अस्मत सब लुट गई इन सरकारों में
लाल हैं तारीखों के पन्ने इंसानों के खून से
हर तरफ लुट रहे हैं काफिले कानून के
डूब चुका आफताब अब फिर से निकलेगा
जुल्मत के अंधेरों हर छत से वो गुजरेगा
कांटों पर धार आएगी, फिर से बहार आएगी

फिर से चमन चहकेगा, फिर से गुलशन महकेगा

दिल्ली धुआं धुआं है, सरकार 'आप' कहां हैं



दिल्ली में धुआं और धुंध ऐसे मिले ऐसे मिले पूरी दिल्ली धुआं धुआं हो गई.ना सूरज नजर आता है, ना चांद नजर आता है. तारे भी कहीं गुम हो गए. शहर की फिजा में जहर है. हर आंख में जलन है. हर एक सांस शहरवासियों के लिए जानलेवा है. शहर की सरकार दूसरों पर इल्जाम लगाने में लगी है.और बेचारी दिल्ली घुट रही है.  हर दिन दिल्ली को डरा रहा है, दिल्ली में हवा खुश्बू खाली है, फिजा में एक घुटन सी है. कहां हैं सरकारें, दिल्ली आवाज देती है. आधी दिल्ली अस्पतालों में है. आधी घरों में कैद है. सरकार बेफिक्र हैं, एनजीटी और केजरीवाल आरोप प्रत्यारोप में लगे हैं और दिल्ली का दम घुट रहा है. देश की शान, देश की राजधानी  की दुश्मन ये राजनीति है.दम तोड़ती दिल्ली की इस हालत के लिए किसी को तो जिम्मेदार होना चाहिए. सियासत ने कसम खाई है दिल्ली का धुंआ साफ ना हो पाएगा. सियासत को धुंआ भी सियासत का मुद्दा लगता है. अस्पतालों मे इमरजेंसी जैसे हालात हैं, बिमारियों ने दिल्ली की कमर तोड़ रखी है, और दिल्ली सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. ऑड ईवन आया थालेकिन आने से पहले ही चला गया. एक आस जगी थी, जो टूट चुकी है. उम्मीद करते हैं सरकार सियासत से हटकर धुआं धुआं हो चुकी के लिए कुछ करेंगी.

Friday 3 November 2017

मैं संविधान हूं मैं शर्मिंदा हूं


उत्तर प्रदेश, फिर उत्तरखंड दोनों ही जगह सरकारों ने मदरसों पर नजर रखी हुई है. ये नज़र किस नज़रिए से रखी वो तो साफ नहीं है लेकिन मदरसों की निगरानी बढ़ाई गई है और उनके खिलाफ कई तरह के कानून बनाए गए हैं. जिस पर समय समय पर राजनीति ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. उत्तर प्रदेश की सरकार ने सबसे ज्यादा प्राथमिकता मदरसों को दी. सीएम योगी ने पहले मदरसों को महत्वपूर्ण समझा और सबसे ज्यादा ध्यान मदरसों पर ही दिया. सरकार ने मदरसों में कैमरों से लेकर नई नई पॉलिसियां बनाई. सरकार ने ये काम किस नज़रिए से किए वो अलग बात है लेकिन उसके जवाब में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि सरकार हम मदरसों से आलिम बनाते हैं आतंकी नहीं. हमारे यहां बच्चों को धर्म के साथ दीन और दुनिया दोनों की बुनियादी तालीम से लेकर कुरान शरीफ और दसवीं बाहरवीं भी कराई जाती है. हम बच्चों को दुनिया में दीन के हिसाब से जीना सिखाते हैं, हम बताते हैं कि इस्लाम का मतलब अपने खुदा से इश्क करना है, उसी की तिलावत करना है, उसके सिवा किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना. हम इन तालिबे इल्मों को शरियत का इल्म देते हैं. इसी बीच विपक्ष और लोगों ने भी सरकार के कई कदमों को शक की निगाहों से देखते हैं. सवाल उठे थे कि सरकार क्राइम कंट्रोल ना करके मदरसों पर कार्रवाई क्यों कर रही है. क्या सरकार को दिख नहीं रहा अपराधिक घटनाए पिछली सरकारों से कई गुना ज्यादा बढ़ गया है. क्या दिख नहीं रहा की अस्पतालों में बच्चे एक एक सांस के लिए तड़प तड़पकर मर रहे हैं. क्या सरकार को नहीं दिखा सड़कों पर खुलेआम मां बेटियों के साथ रेप जैसी घटनाएं. शायद नहीं दिखा क्योंकि सरकार का फोकस ताजमहल पर था. सरकार देख रही थी की संगेमरमर से सियासत कैसे चमकाई जाए. सरकार देख रही थी की किस किसकों और किस मुद्रा में और किस किस समय पर राष्ट्रगान गवाना है और किसको वंदे मातरम गाना है. सरकार को कहना था हमे ओरों से गवाना है वो बात अगल है हमें ना आता हो, हमारा क्या है हम तो देशभक्त हैं सीख जाएंगे धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा. लेकिन सबसे बड़ा काम मदरसों पर लगाम लगाना है. मदरसे अपनी ओर उठती शक की निगाहों को देखकर सहम गए हैं. बोल रहे हैं ऐ सियासतदानों मेरे वजूद पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेंबां में झांक लेते तो शायद शर्मिंदगी से ही डूब मरते. जहां नापाक जिस्म का जाना मना हो वहां तुम्हारे नापाक मंसूबे पहुंचें हैं. वो खुदा का घर है उसकी हिफाजत वो खुद करता है. लेकिन आपकी सोच से संविधान भी शर्मिंदा है. धर्मों के जाल में फंसां संविधान भी बोल रहा है की मुल्क के सियासतदानों धर्म को राजनीति में मत उतारो वर्ना मेरा दमन हो जाएगा.ये मदरसे हैं यहां धर्म की तिलावत होती है. यहां कभी नापाक सोच पैदा नहीं होती. 

Thursday 26 October 2017

तो बाबरी की तरह ढहा दिया जाएगा ताजमहल!

ताज विवाद पर सपा नेता आज़म खान ने यही टिप्पड़ी की थी. कि देश के ताज को गिरा दो मैं भी आपके साथ रहूंगा...उसके बाद ताजमहल के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है...सत्ताधारी पार्टी के कुछ महाशय ने ताज को कलंक से लेकर कब्रस्तान तक जाने क्या क्या बता दिया गया...ठीक है कब्रस्तान है...मान लिया कलंक है...आपके टाइप की देश भक्ति से संस्कृति पर धब्बा भी मान लिया...लेकिन देश के सबसे बड़े सूबे के सबसे ज्यादा देशभक्त सीएम श्री योगी आदित्यान जी का ताजमहल पर जाना उसी साजिश को हवा देना है जो बाबरी के विध्वंस से पहले रची गई थी...क्योंकि यहां सीएम की सोच और नज़रिए की बात है...और सोच किया है वो देश को बहुत अच्छे से मालूम है...सीएम और उनके साथियों ने प्रेशर में आकर कई बयान बदलें हैं जो सबने देखे और सुने हैं...ताज महल क्या है, दुनिया किस नज़र से देखती है, सियासत किस नज़र से देखती है, और हिन्दुस्तान किस नज़र से देखता है, इन सबमें ज्यादा फर्क नहीं है बस नज़र और नज़रिए का फर्क है, तो इस सबके बीच जो सवाल मन में उठता वो यही है कि क्या ये वही तैयारी है जो बाबरी को बर्रबाद करने से पहले की गई थी, उस समय भी सियासत ने चारों दिशाओं में धर्म की धार पर मंसूबों को हथियार बनाया था. लोगों को धर्म के नज़रिए से देखने के लिए मजबूर किया गया था. और उसी नज़रिए ने जन्मी थी वो रात जिसे मुस्लिम आज ब्लैक डे के नाम से जानते हैं और शायद इतिहास भी उस दिन को अपने ऊपर कलंक ही मानता होगा...वो रात जब एक छड़ी घूमी और मैजिक हुआ और मस्जिद में रामलला प्रकट हो गए. उस दिन रामलला आए थे, अब हनुमान चालीसा आया है...और अब तो साक्षात हिन्दुत्व के जोगी श्री आदित्यानाथ योगी पहुंचे हैं ताज को अपने नज़रिए से देखने...देखेंगे ताज कितना हिन्दु है कितना मुसलमान है...कितना बागान है, कितना कब्रिस्तान है...कितना काम का है और किस किस हिस्से पर राजनीति हो सकती है...संगेमरमर पर  सियासत की चमक क्या पड़ी...ताज की मीनारों ने मान लिया है कि विनाश करीब है !,..ताज के बाग, फूल पत्तियां, पेड़ पौधे हर कली सहमी हुई है, सियासत वहां पनप रही है, ताज की मीनारें शर्मसार हैं, वक्त और हालात पर हंस रहीं हैं, धर्म के नज़रिए की काली ज़हनियत को देखकर डर रही हैं अपने कल के बारे में सोच कर सहमी हुईं हैं...ताजमहल का आगरा एक तपिश को महसूस कर रहा है, सियासत के साथ यहां पर नफरतें, डर और धर्म का नज़रिया भी आया है,..देश और संविधान, संस्कृति और संस्कार, हिन्दु और मुसलमान सब कांप रहे हैं, क्योंकि यहां आप आए हैं.......

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